एक बार आवत सिव संगा, देखेउ रघुकुल कमल पतंगा !
भयउ मोह सिव कहा न कीन्हा, भ्रम बस बेष सिय कर लीन्हा !!
एक बार माँ भवानी ने शिव जी के साथ आते हुए रघुकुल रुपी कमल के सूर्य को देखा,
इनके मन में अज्ञान हुआ और इन्होंने शिव जी का कहना नहीं माना और
भ्रम में पड़ कर सीता का रूप बनाया !
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