सिय बेष सती जो कीन्ह तेहि, अपराध संकर परिहरी !
हर बिरह जाइ बहोरि पितु के, जग्य जोगानल जारी !!
अब जनमि तुम्हरे भवन निजपति, लागि दारुन तप किया !
अस जानि संसय तजहु गिरिजा, सर्वदा संकर प्रिया !!
नारद जी पार्वती की माँ मैना और बाकी सबको बताया कि पार्वती ने जब श्री राम की परीक्षा लेने के लिए सीता का रूप बनाया था, इस अपराध से शिव जी ने पार्वती जी को त्याग दिया था, फिर महादेव के वियोग से पिता के यज्ञ में जाकर सती योगाग्नि में जल गयीं ! तब जाकर आपके घर माँ पार्वती ने जन्म लिया और शिव जी की पुनः प्राप्ति के लिए भीषण तप किया है ! इसलिए संदेह छोड़ दो पार्वती सदा सर्वदा शंकर की ही प्यारी हैं !
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