तुम्ह पुनि राम राम दिन राती, सदर जपहु आनंद अराती !
राम सो अवध त्रिपति सुत सोई , की अज अगुन अलख गति कोई !!
हे काम के शत्रु ! फिर आप भी दिनरात आदर के साथ राम राम जपते हैं !
वह राम वही अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र हैं कि कोई अप्रतयक्ष, निर्गुण और अजन्मे हैं !
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