दो : - जौं नृप-तनय त ब्रह्म किमि, नारि बिरह मति भोरि !
देखि चरित महिमा सुनत,भ्रमति बुद्धि अति मोरि !!
यदि राम किसी राजा के पुत्र हैं तो वह ब्रह्म कैसे हैं, जिनकी बुद्धि स्त्री के वियोग से बांवली हुई थी !
उनका चरित्र देख कर और महिमा सुनकर मेरी बुद्धि बड़े भ्रम में हैं !
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