रविवार, 23 अप्रैल 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 चौ : - जौं अनीह व्यापक बिभु कोउ, कहहु बुझाई नाथ मोहि सोऊ !

अज्ञ जानि रिस उरजनि धरहु, जेहि बिधि मोह मिटइ सोइ करहु !!

यदि व्यापक ब्रह्म कोई दूसरा है तो हे नाथ ! वह भी मुझे समझा दीजिये !

 नासमझ जानकार कर मन में क्रोध ना लाइये, बस मेरा अज्ञान मिटा दीजिये !

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