मैं बन दीख राम प्रभुताई, अति भय विकल न तुम्हहीं सुनाई !
तदपि मलिन मन बोध ना आवा, सो फल भली भाँती हम पावा !!
मैंने प्रभु श्री राम चन्द्र जी की प्रभुता वन में देखी, पर अत्यंत भय से व्याकुल हो कर आपको नहीं सुनाई !
तो भी मेरे पापी मन को ज्ञान ना हुआ और उसका फल मैंने भली भाँती पाया !
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