रविवार, 16 अप्रैल 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी, त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी !

धर अरु अचर नाग नर देवा, सकल करहिं पद पंकज सेवा !!

हे विश्वनाथ ! मेरी स्वामी, त्रिपुर के बैरी, आपकी महिमा तीनों लोकों में विख्यात है ! 

चेतन, जड़, नाग, मनुष्य और देवता सब आपके चरण कमलों की सेवा करते हैं !

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