चौ :- बोलि सकल सुर सादर लीन्हे, सबहि जथोचित आसन दीन्हे !
बेदी बेद-बिधान सँवारी, सुभग सुमंगल गावहिं नारी !!
शुभ लगन आने पर देवताओं को आदर सहित बुलाया गया और सब को यथायोग्य आसन दिया !
वेद की रीति से वेदी बनायी गयी, सुन्दर स्त्रियां श्रेष्ठ मंगल गान करती हैं !
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