शनिवार, 24 दिसंबर 2022

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 दो : - नाथ उमा मम प्राण प्रिय, ग्रह-किंकरी करेहु !

छमेहु सकल अपराध अब, होइ प्रसन्न बार देहु !!

 मैना बिनती करने लगी हैं, हे नाथ ! उमा मुझे प्राण के समान प्यारी है,

 इसे घर की शोभा बनाइयेगा, सम्पूर्ण अपराध क्षमा कीजियेगा ! अब प्रसन्न होकर वचन दीजिये !

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