प्रनवउ सोइ कृपाल रघुनाथा, बरनउँ विषद तासु गन गाथा !
परम रम्य गिरिबर कैलासू, सदा जहाँ सिव उमा निवासू !!
उन्हीं कृपाल रघुनाथ जी को मैं प्रणाम करता हूँ और उनके गुणों की निर्मल कथा कहता हूँ !
पर्वतश्रेष्ठ कैलास अत्युत्तम रमणीय है जहाँ शिव पार्वती सदा निवास करते है!
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