सारद दारु नारि सम स्वामी, राम सूत्रधर अन्तरजामी !
जेहि पर कृपा करहिं जन जानी, कबि कर अजिर नचावहिं बानी !!
अन्तरयामी श्री राम चंद्र जी सुत्रधार हैं और वे सरस्वती जी से मनचाहा काम करवाते हैं ! श्री राम जी जिसको अपना दास जान कर कृपा करते हैं उसके ह्रदय रूपी आँगन में सरस्वती जी की वाणी को नाचते हैं !
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