चौ: - जदपि जोषिता अनअधिकारी, दासी मन क्रम बचन तुम्हारी !
गूढ़उ तत्व न साधु दुरावहिं, आरत अधिकारी जहँ पावहिं !!
पार्वती जी ने शिव जी से कहा माना कि स्त्रियां अनधिकारिणी हैं तो भी मैं मन, वचन, और कर्म से आपकी दासी हूँ ! सज्जन लोग छिपी हुई वास्तविकता को नहीं छुपाते हैं और वे आतुर अधिकार पाते हैं ! वे अधिकार आप श्री राम जी के निर्मल यश का गान करके दीजिये !
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