अति आरति पूछउँ सुरराया, रघुपति कथा कहहु करि दाया !
प्रथम सो कारन कहहु बिचारी, निर्गुण ब्रह्म सगुन-बपु-धारी !!
हे देवराज ! मैं बड़ी दीनता से पूछती हूँ, दया कर के रघुनाथ जी की कथा कहिये !
पहले वह कारण विचार कर बताईये कि निर्गुण ब्रह्म शरीर धारण कर श्री राम सगुन कैसे हुए !
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