बन बसि कीन्हे चरित अपारा, कहहु नाथ जिमि रावण मारा !
राज बैठि कीन्हि बहु लीला, सकल कहहु संकर सुभ लीला !!
वह कथा कहिये कि कैसे राम जी ने वन में रह कर अपार चरित्र किये, हे नाथ जिस रावण को मारा वह कहिये !
राज्य करते हुए बहुत प्रकार की लीलाएं की, हे सुख के निधार शंकर जी, ये सब कहिये !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें