शनिवार, 29 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 जिन्ह के अगुन ना सगुन बिबेका, जल्पहिं कल्पित बचन अनेका !

हरि माया बस जगत भरमाहिं, तिन्हहिं कहत कछु अघटित नाहीं !!

जिनको निर्गुण और सगुन का ज्ञान नहीं है जो अनेक तरह की बनावटी बातें करते हैं, भगवान की माया के अधीन हो कर संसार में भटकते हैं उन्हें कुछ भी कहना असंभव है !

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