चौ :- तदपि असंका कीन्हिहु सोई, कह सुनत सबकर हित होई !
जिन्ह हरिकथा सुनी नहिं काना, स्रवण-रन्ध्र अहि भवन समाना !!
शिव जी पार्वती से बोले यदि तुमने सन्देह भी किया है तो भी राम कथा सुनने और कहने में सबकी भलाई है ! परन्तु जिन्होंने प्रभु राम की कथा कभी कान से सुनी ही नहीँ उन अभागों के कान के छेद तो सांप के बिल की तरह हैं !
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