दो : - कहहिं सुनहिं अस अधम नर, ग्रसे जे मोह पिसाच !
पाखंडी हरि पद बिमुख, जानहिं झूठ न साँच !!
जो अधम मनुष्य अज्ञान रुपी पिशाच से ग्रसित है ऐसा वही कहते और सुनते हैं ! भगवान के पद से विमुख, पाखंडी जो झूठ सच जानते ही नहीं है उन्हें राम के बारे में क्या पता !
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