जिन्ह हरिभगति ह्रदय नहिं आनी, जीवन सव समान ते प्रानी !
जो नहिं करइ राम गुन गाना , जीह सो दादुर-जीह समाना !!
जिनके ह्रदय में प्रभु की भक्ति नहीं हैं वे मुर्दे के समान जीते हैं !
जो श्री रामचन्द्र जी के गुणों का गान नहिं करते वह जीभ मेंढक की जिह्वा के समान शुन्य है !
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