कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती, सुनी हरि-चरित न जो हरषाती !
गिरिजा सुनो राम कै लीला, सुर हित दनुज बिमोहन सीला !!
वह छाती बज्र के समान कठोर और निर्दयी है जो भगवान का चरित्र सुनकर हर्षित ना होती हो !
हे गिरिजा सुनो रामचन्द्र जी की लीला देवताओं का कल्याण करनेवाली और
दैत्यों को अत्यंत अज्ञान में डालने वाली है !
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