हरष विषाद ज्ञान अज्ञाना, जीव धरम अहमित अभिमाना !
राम ब्रह्म व्यापक जग जाना, परमानन्द परेस पुराना !!
हर्ष, विषाद, ज्ञान, अज्ञान, अभिमान ये सब जीव का धर्म है ! श्री रामचन्द्र जी व्यापक, ब्रह्म, परम आनन्द रूप और सब के स्वामी पुराण पुरुष है और इस बात को सम्पूर्ण जगत जानता है !
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