राम सच्चिदानंद दिनेसा, नहीँ तहँ मोह-निसा-लवलेसा !
सहज प्रकास रूप भगवाना, नहिं तहँ पुनि बिज्ञान बिहाना !!
श्री रामचन्द्र परब्रह्म सूर्य रूप हैं, वह अज्ञान रुपी रात्रि को हर लेते हैं !
भगवान सहज ही प्रकाश रूप हैं, फिर वहाँ अज्ञान का अन्धेरा हो ही नहीँ सकता !
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