तन बिनु परस नयन बिनु देखा, ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेखा !
असि सब भाँती अलौकिक करनी, महिमा जासु जाई नहिं बरनी !!
प्रभु बिना शरीर के स्पर्श करते हैं, बिना नेत्र के देखते हैं और बिना नाक के अपार सुगन्ध लेते हैं ! प्रभु की ऐसी अलौकिक महिमा है जिसका वर्णन नहीँ किया जा सकता !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें