रविवार, 9 जून 2024

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 बिबसहुँ जासु नाम नर कहहीं, जनम अनेक रचित अघ दहहीं !

सादर सुमिरन जे नर करहीं, भाव भारिधि गो पद इव तरहीं !!

जो मनुष्य प्रभु श्री राम का नाम सादर प्रेम से या विवश हो कर भी लेते  है  उनके  अनेक जन्मों के पाप प्रभु प्रताप से गाय के खुर के सामान छोटे हो कर  नष्ट हो जाते हैं !

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