बहुरि मुनीसन्ह उमा बोलाई, करि सिंगार सखी लेइ आई !
देखत रूप सकल सुर मोहे, बरनइ छबि अस जग कबि को हे !!
फिर मुनिश्वरों ने उमा को बुलवाया, श्रृंगार करके सखियाँ उमा को ले के आयीं ! रूप देखते ही सब देवता मोहित हो गए, संसार में कोई भी कवि पार्वती की उस छवि का बखान नहीं कर सकता !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें