दो :- मुनि अनुसासन गनपतिहि, पूजेउ सम्भू-भवानि !
कोउ सुनि संसय करइ जनि, सुर अनादि जिय जानि !!
शिव-पार्वती ने मुनियों की आज्ञा से गणेश जी पूजन किया ! ये सुनकर कोई आश्चर्य न करे कि विवाह से पहले श्री गणेश की पूजा कैसे की ! इसे केवल मंगल का सूचक अलंकार माना जाये !
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