कत बिधि सृजी नारि जग माहीं, पराधीन सपनेहुँ सुख माहीं !
भय अति प्रेम बिकल महतारी, धीरज कीन्ह कुसमय बिचारी !!
पार्वती की माता जी भावुक होकर कहने लगीं विधाता ने स्त्रियों को क्यों उत्पन्न किया, जिन्हे पराधीन रहने के कारण स्वप्नं में भी सुख नहीं है ! वे अत्यंत व्याकुल हुईं परन्तु सब विचार कर धीरज धारण किया !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें