राम चरित अति अमित मुनीसा, कह न सकहिं सतकोटि अहीसा !
तदपि जथा सुत कहऊँ बखानी, सुमिरि गिरापति प्रभु धनु पानी !!
हे मुनीश्वर, रामचंद्र जी का चरित्र अनन्त है, उसको करोड़ों शेषनाग भी नहीं कह सकते !
तो भी जैसा सुना है हाथ में धनुष लिए वाणीं के स्वामी प्रभु श्री रामचंद्र जी को याद करके बखान करूँगा !
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