शुक्रवार, 24 मार्च 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 चौ :- मैं जाना तुम्हार गुन सीला, कहउँ सुनहु अब रघुपति लीला !

सुनु मुनि आजु समागम तोरे, कहि न जाइ जस सुख मन मोरे !!

मैंने आपकी गुणशीलता जान ली, अब रघुनाथ जी की लीला कहता हूँ, सुनिए हे मुनि ! 

आपके सम्मिलन से आज मेरे मन में जो आनंद हुआ है वह कहा नहीं जा सकता !

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