जग जान षणमुख जनम करम प्रताप पुरुषारथ महा !
तेहि हेतु मैँ बृषकेतू-सुत कर, चरति संछेपहि कहा !!
यह उमा सम्भु बिबाह जे नर, नारि कहहिं जे गावहीं !
कल्यान काज बिबाह मंगल, सर्बदा सुख पावहीं !!
स्वामी कार्तिक के जन्म,कर्म,प्रताप और महान पुरूषार्थ को संसार जानता है !
इसलिए शिव जी के पुत्र का चरित्र संक्षेप में ही वर्णन किया है !
भगवन शिव और पार्वती जी के विवाह की महिमा जो गायेगा
वह सदा मंगल और सुख पावेंगे !
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