सिव पद कमल जिनहिंहीं रति नाहीं, रामहिं ते सपनेहुँ न सुहाहीं !
बिनु छल विस्वनाथ-पद नेहु, रामभगत कर लच्छन एहू !!
जिनकी प्रीती शिव जी के चरणों में नहीं है, वे रामचन्द्र जी को सपनें में भी अच्छे नहीं लगते हैं !
और राम भक्त का लक्षण यह है कि उसका शिव जी के चरणों में बिना छल के प्यार हो !
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