निज कर डासि नाग रिपु-छाला, बैठे सहजहिं सम्भु कृपाला !
कुन्द-इन्दु-दर गौर सरीरा, भुज प्रलम्भ परिधन मुनि बीरा !!
अपने हाथ से सिंह चर्म बिछा कर कृपालु शिव जी उस वृक्ष के नीचे बैठ गए !
उनका शरीर कुन्द के फूल, चन्द्रमा और शंख के समान उज्जवल है, भुजाएँ लम्बी हैं,
मुनियों के वस्त्र धारण किये हैं !
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