बन्दउँ बाल रूप सोइ रामू, सब बिधि सुलभ जपत जिसु नामू !
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी !!
शिव जी पार्वती से बोले मैं उन बालक रूप रामचन्द्र जी को प्रणाम करता हूँ, जिनका नाम जपने से सब सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं ! मंगल के स्थान, अमंगल को हरने वाले और महाराज दशरथ के आँगन में विहार करने वाले प्रभु राम मुझ पर प्रसन्न हों !
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