हर हिय राम चरित सब आये, प्रेम पुलक लोचन जल छाये !
श्री रघुनाथ रूप उर आवा, परमानन्द अमित सुख पावा !!
शिव जी के हृदय में श्री रामचंद्र जी के सब चरित्रों का स्मरण हो आया, शरीर प्रेम से पुलकित हो गया और नेत्रों में जल भर आया ! श्री रघुनाथ जी का रूप ह्रदय में उतर आया जिससे वे अपर अत्युत्तम अपार आनन्द को प्राप्त हुए !
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