सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 चौ :- सगुनहिं अगुनहिं नहिं कछु भेदा, गावहिं मुनि पुरान बुध वेदा !

अगुन अरूप अलख अज जोई, भगत प्रेम बस सो होई !!

सगुन और निर्गुण में कुछ भेद नहीँ हैं ! मुनि, पुराण, पंडित और वेद ऐसा कहते हैं ! जो निर्गुण, बिना रूप का अप्रत्यक्ष और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेम के वश में होकर सगुन प्रगट होता है !

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