चितव जो लोचन अंगुली लाये, प्रगट जुगलि ससि तेहि के भाये !
उमा राम बिषयक अस मोहा, नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा !!
शिव जी माँ पार्वती से बोले यदि आँख में उंगली लगा कर देखता हूँ तो दो चन्द्रमा प्रतीत होते हैं, उसी प्रकार से प्रभु श्री राम का मोह ऐसा है जैसे आकाश में धूल, धुआं और अंधकार विलीन हो जाते है
वैसे ही मैं भी प्रभु श्री राम में विलीन हूँ !
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