Ram Charitra Manas, Ramayan Shalokas, Politcal Views & Poems
A Dedicated Blog to Depict Shri Ram Chandra Ramayan Written by Goswami Tulsidas Ji & Shalokas in Hindi
शनिवार, 15 जून 2024
Narendra Modi: A Visionary Leader for India's FutureAs India
रविवार, 9 जून 2024
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
बिबसहुँ जासु नाम नर कहहीं, जनम अनेक रचित अघ दहहीं !
सादर सुमिरन जे नर करहीं, भाव भारिधि गो पद इव तरहीं !!
जो मनुष्य प्रभु श्री राम का नाम सादर प्रेम से या विवश हो कर भी लेते है उनके अनेक जन्मों के पाप प्रभु प्रताप से गाय के खुर के सामान छोटे हो कर नष्ट हो जाते हैं !
गुरुवार, 16 नवंबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
चौ : कासी मरत जन्तु अवलोकी, जासु नाम बल करउँ बिसोकी !
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी, रघुबर सब उर अन्तरजामी !!
शिव जी बोले काशी में जीवों को मरते देख कर जिन प्रभु श्री राम के नाम के बल से मैं उन्हें शोक रहित कर देता हूँ ! वही जड़ चेतन के स्वामी, सब के ह्रदय की बात जानने वाले प्रभु रघुनाथ जी हैं !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
दो : - जेहि इमि गाँवहिं वेद बुध,जाहि धरहिं मुनि ध्यान !
सोइ दसरथ-सुत भगत-हित, कोसलपति भगवान !!
जिनको वेद और विद्वान् मुनि ध्यान करते हैं वही दशरथ के पुत्र भक्तों के हितकारी अयोध्या के राजा भगवान हैं !
शुक्रवार, 10 नवंबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
तन बिनु परस नयन बिनु देखा, ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेखा !
असि सब भाँती अलौकिक करनी, महिमा जासु जाई नहिं बरनी !!
प्रभु बिना शरीर के स्पर्श करते हैं, बिना नेत्र के देखते हैं और बिना नाक के अपार सुगन्ध लेते हैं ! प्रभु की ऐसी अलौकिक महिमा है जिसका वर्णन नहीँ किया जा सकता !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
जासु कृपा अस भ्रमि मिटि जाई, गिरिजा सोइ कृपाल रघुराई !
आदि अन्त कोउ जासु ना पावा, मति अनुमान निगम अस गावा !!
शिव जी बोले हे गिरिजा ! जिनकी कृपा से संसार के सारे भ्रम मिट जाते हैं वही कृपालु रघुनाथ जी हैं, जिनके आदि अन्त को कोई जान नहीं पाया है अपनी बुद्धि से अनुमान कर वेद ऐसा गाते हैं !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
दो :- रजत सीप महँ भास् जिमि, जंथा भानु-कर-बारि !
जदपि मृषा तिहुँ काल सो, भ्रम न सकइ कोउ टारि !!
एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई, जदपि असत्य देत दुःख अहिइ !
जौं सपने सिर काटइ कोई, बिनु जगे न दूर दुःख होई !!
जैसे सींप में चाँदी और सूर्य की किरणों में पानी भ्रम है और उस भ्रम को कोई मिटा नहीं सकता !
इसी तरह संसार भी भगवान सहारे व्यवस्तिथ है, यदि सपनें में कोई सिर काट ले तो बिना जागे वह दुःख दूर नहीं होता है !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
जगत प्रकास्य प्रकासक रामू, मायाधीस ज्ञान-गुन-धामू !
जासु सत्यता तैं जड़ माया, भास सत्य इव मोह सहाया !!
ये सारा जगत प्रकाश्य है और माया के स्वामी, ज्ञानगुन के धाम श्री रामचन्द्र जी प्रकाशक हैं ! जिनके प्रकाश से अचेतन माया दूर हो जाती हैं !
बुधवार, 8 नवंबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
चितव जो लोचन अंगुली लाये, प्रगट जुगलि ससि तेहि के भाये !
उमा राम बिषयक अस मोहा, नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा !!
शिव जी माँ पार्वती से बोले यदि आँख में उंगली लगा कर देखता हूँ तो दो चन्द्रमा प्रतीत होते हैं, उसी प्रकार से प्रभु श्री राम का मोह ऐसा है जैसे आकाश में धूल, धुआं और अंधकार विलीन हो जाते है
वैसे ही मैं भी प्रभु श्री राम में विलीन हूँ !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
बिषय करन सुर जीव समेता, सकल एक तैं एक सचेता!
सब कर परम प्रकासक जोई, राम अनादि अवधपति सोई !!
विषय से इन्द्रियां, इन्द्रियों से देवता और देवताओं से जीवात्मा सब एक दूसरे से प्रकाशित हैँ ! जो सब को परम प्रकाश देने वाले हैँ वहीँ अयोध्या के राजा श्री रामचन्द्र जी हैँ !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
चौ : - निज भ्रमनहिं समुझहिं अज्ञानी, प्रभु परमोह धरहिं जड़ प्रानी !
जथा गगन घन पटल निहारी, झाँपेउ भानु कहहिं कुबिचारी !!
अज्ञानी मनुष्य अपना भ्रम नहीं समझते, वे जड़ प्राणी ईश्वर पर मोह का आरोपण करते हैं ! जैसे आकाश में बादलों को देख लोग कहते हैं कि बादल ढक गया !
सोमवार, 30 अक्तूबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
दो :- पुरुष प्रसिद्ध प्रकास-निधि, प्रगट परावर नाथ !
रघुकुल-मनि मम स्वामी सोइ, कहि सिव नायउ माथ !!
जो प्रसिद्ध पुरुष प्रकाश के स्थान, जड़ चेतन के स्वामी, रघुकुल के रत्न रूप प्रकट हुए, वे ही मेरे इष्टदेव हैं ऐसा कह कर शिव जी ने मस्तक नवाया !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
हरष विषाद ज्ञान अज्ञाना, जीव धरम अहमित अभिमाना !
राम ब्रह्म व्यापक जग जाना, परमानन्द परेस पुराना !!
हर्ष, विषाद, ज्ञान, अज्ञान, अभिमान ये सब जीव का धर्म है ! श्री रामचन्द्र जी व्यापक, ब्रह्म, परम आनन्द रूप और सब के स्वामी पुराण पुरुष है और इस बात को सम्पूर्ण जगत जानता है !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
राम सच्चिदानंद दिनेसा, नहीँ तहँ मोह-निसा-लवलेसा !
सहज प्रकास रूप भगवाना, नहिं तहँ पुनि बिज्ञान बिहाना !!
श्री रामचन्द्र परब्रह्म सूर्य रूप हैं, वह अज्ञान रुपी रात्रि को हर लेते हैं !
भगवान सहज ही प्रकाश रूप हैं, फिर वहाँ अज्ञान का अन्धेरा हो ही नहीँ सकता !
सोमवार, 23 अक्तूबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
चौ :- सगुनहिं अगुनहिं नहिं कछु भेदा, गावहिं मुनि पुरान बुध वेदा !
अगुन अरूप अलख अज जोई, भगत प्रेम बस सो होई !!
सगुन और निर्गुण में कुछ भेद नहीँ हैं ! मुनि, पुराण, पंडित और वेद ऐसा कहते हैं ! जो निर्गुण, बिना रूप का अप्रत्यक्ष और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेम के वश में होकर सगुन प्रगट होता है !
रविवार, 22 अक्तूबर 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
जो गुन रहित सगुन सोइ कैसे, जल-हिम-उपल बिलग नहीँ जैसे !
जासु नाम भ्रम-तिमिर-पतंगा, तेहि किमि कहिय बिमोह प्रसंगा !!
जैसे पानी, पाला और ओला हैं वैसे ही प्रभु सगुन भी हैं और निर्गुण भी ! श्री राम का नाम लेने से ही अन्धकार दूर हो जाता है उनके बारे में अज्ञान की बातें नहीँ कही जा सकती !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
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हे पर्वतराज की कन्या अपने मन के सारे संशय त्याग कर श्री राम के चरणों में ध्यान धरो !
भ्रम रुपी अन्धकार के लिए मेरे वचन सूर्य की किरणों की तरह हैं !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
बातुल भूत बिबस मतवारे
ते नहीं बोलें बचन बिचारे
जिन्ह कृति महा मोद मद पाना
तिन्ह कर काहा करी नहीं काना
जो बकवादी प्रेत के अधीन हो कर बिना कुछ विचार किये बोलते हैं जिन्होंने महामोह रूपी
मदिरा का पान किया है उनका विश्वास नहीं करना चाहिए
शनिवार, 29 जुलाई 2023
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
जिन्ह के अगुन ना सगुन बिबेका, जल्पहिं कल्पित बचन अनेका !
हरि माया बस जगत भरमाहिं, तिन्हहिं कहत कछु अघटित नाहीं !!
जिनको निर्गुण और सगुन का ज्ञान नहीं है जो अनेक तरह की बनावटी बातें करते हैं, भगवान की माया के अधीन हो कर संसार में भटकते हैं उन्हें कुछ भी कहना असंभव है !
श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड
कहहिं ते बेद असम्मत बानी, जिन्हहहिं ना सूझ लाभ नहीं हानी !
मुकुर मलिन अरु नयन बिहीना, राम रूप देखहिं किमि दीना !!
वे लोग वेद विरुद्ध बात कहते हैं जिनको ना लाभ सूझता है ना हानि ! जिनका चरित्र मैला और आँख से अन्धे है वो जो रामचन्द्र जी के रूप को नहीं देख पाते हैं!