शनिवार, 29 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 दो : - अज्ञ अकोबिद अन्ध अभागी, काई बिषय मुकुर-मन लागी !

लम्पट कपटी कुटिल बिसेखी, सपनेहुँ सन्त सभा नहीं देखी !!

 वे लोग अज्ञानी, मूर्ख, अन्धे और भाग्यहीन हैं जिनके मन रुपी दर्पण में विषय रुपी मैल लगी है ! वे लोग तो  व्यभचारी,धोखेबाज़ और बड़े ही दुष्ट हैं जिन्होंने सपनें में भी संतो की सभा नहीं देखी !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 दो : - कहहिं सुनहिं अस अधम नर, ग्रसे जे मोह पिसाच !

पाखंडी हरि पद बिमुख, जानहिं झूठ न साँच !!

जो अधम मनुष्य अज्ञान रुपी पिशाच से ग्रसित है ऐसा वही कहते और सुनते हैं ! भगवान के पद से विमुख, पाखंडी जो झूठ सच जानते ही नहीं है उन्हें राम के बारे में क्या पता !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 एक  बात नहीं मोहि सुहानी, जदपि मोह-बस कहेहु भवानी !

तुम्ह जो कहा राम कोउ आना, जेहि स्तुति गाव धरहिं मुनि ध्याना !!

हे भवानी वैसे तो ये बात तुमने मोहवश हो कर कही है कि जिनको वेद गाते हैं और 

मुनि ध्यान धरती हैं वे रामचंद्र कोई दुसरे हैं !

रविवार, 23 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड



 दो : - रामकथा सुरधेनु सम, सेवत सब सुख दानि !

       सतसमाज सुरलोक सब, को न सुनइ अस जानि !!

रामचंद्र जी की कथा कामधेनु के समान सब को सुख देने वाली है ! 

 सब सज्जन मण्डली देवलोक हैं जहाँ स्वयं कामधेनु निवास करती हो वहाँ कौन नहीं रहना चाहेगा !


श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 तदपि जथा स्तृत जसि मति मोरी,  कहिहउँ देख प्रीती अति तोरी !

उमा प्रस्न तब सहज सुहाई, सुखद सन्त सम्मत मोहि भाई !!

शिव जी बोले तो भी जैसा सुना हैं और जैसी मेरी बुद्धि है उसी प्रकार से तुम्हारी प्रीती देखकर कहूंगा ! हे उमा तुम्हरे प्रश्न सहज, सुहावने, सन्त सम्मत, सुखदायक और प्रिय लगने वाले हैं !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 राम नांम गन चरित सुहाये, जनम करम अगनित स्तुति गाये !

जथा अनन्त राम भगवाना, तथा कथा कीरति गुन नाना !!

रामचन्द्र के सुन्दर नाम, गुण, चरित्र, जन्म और कर्म का अनेक श्रुतियों ने गान किया है !  जिस तरह रामचन्द्र अनन्त हैं, उसी तरह उनकी कथा और गुण आपार हैं !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 रामकथा सुन्दर करतारी, संसय बिहग उड़ावनिहारी !

रामकथा कलि बिटप कुठारी, सादर सुनु गिरिराज कुमारी !!

शिव जी कहते हैं प्रत्येक संदेह को उड़ाने वाली रामकथा एक सुन्दर ताली है ! हे पर्वत की कन्या आदरपूर्वक सुनो ! कलियुग के वृक्ष को काटने के लिए रामकथा कुल्हाड़ी है !

शुक्रवार, 21 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 जिन्ह हरिभगति ह्रदय नहिं आनी, जीवन सव समान ते प्रानी !

जो नहिं करइ राम गुन गाना , जीह सो दादुर-जीह समाना !!

जिनके ह्रदय में प्रभु की भक्ति नहीं हैं वे मुर्दे के समान जीते हैं !

 जो श्री रामचन्द्र जी के गुणों का गान नहिं करते वह जीभ मेंढक की जिह्वा के समान शुन्य है !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती, सुनी हरि-चरित न जो हरषाती !

गिरिजा सुनो राम कै लीला, सुर हित दनुज बिमोहन सीला !!

वह छाती बज्र के समान कठोर और निर्दयी है जो भगवान का चरित्र सुनकर हर्षित ना होती हो !

 हे गिरिजा सुनो रामचन्द्र जी की लीला देवताओं का कल्याण करनेवाली और

 दैत्यों को अत्यंत अज्ञान में डालने वाली है !

सोमवार, 17 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड



 नयननिह सन्त दरस नहीँ देखा, लोचन मोर पंख कर लेखा !

ते सिर कटु- तूंबर समतूला, जे न नमन हरि-गुरु-पद-मूला !!

जिन आँखों ने संतो के दर्शन नहीँ किये उनकी आँखें मोर की पंखों की तरह हैं ! 

उस जीवन का क्या फायदा जो प्रभु हरि और गुरु के चरणों में रमें नहीँ हैं !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 पूछेउ रघुपति कथा प्रसंगा, सकल लोक जग पावनि गंगा !

तुम्ह रघुबीर चरण अनुरागी, कीन्हहु प्रसन्न जगत हित लागी !!

शिव जी पार्वती जी से बोले तुमने रघुनाथ जी की कथा के सम्बन्ध में पूछा  है जो जग में सब लोगों को पवित्र करने के लिए गंगा है ! तुम रघुबीर के चरणों की प्रेमी हो और तुमने संसार की भलाई के लिए प्रश्न किया है !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 चौ :- तदपि असंका कीन्हिहु सोई, कह सुनत सबकर हित होई !

जिन्ह हरिकथा सुनी नहिं काना, स्रवण-रन्ध्र अहि भवन समाना !!


शिव जी पार्वती से बोले यदि तुमने सन्देह भी किया है तो भी राम कथा सुनने और कहने में सबकी भलाई है ! परन्तु जिन्होंने प्रभु राम की कथा कभी कान से सुनी ही नहीँ उन अभागों के कान के छेद तो सांप के बिल की तरह हैं !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 दो : रामकृपा तैं पार्बती, सपनेहु तब मन माहिं !

सोक मोह सन्देह भ्रम, मम बिचार कछु नाहीं !!

शिव जी बोले हे पार्वती ! रामचंद्र जी की कृपा से तुम्हारे मन में शोक, सन्देह,मोह, भ्रम, स्वप्न तक में नहीं है !

सोमवार, 10 जुलाई 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 हर हिय राम चरित सब आये, प्रेम पुलक लोचन जल छाये !

श्री रघुनाथ रूप उर आवा, परमानन्द अमित सुख पावा !!

शिव जी के हृदय में श्री रामचंद्र जी के सब चरित्रों का स्मरण हो आया, शरीर प्रेम से पुलकित हो गया और नेत्रों में जल भर आया ! श्री रघुनाथ जी का रूप ह्रदय में उतर आया जिससे वे अपर अत्युत्तम अपार आनन्द को प्राप्त हुए ! 

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 करि प्रनाम रामहिं त्रिपुरारी, हरषि सुधा सम गिरा उचारी !

धन्य धन्य गिरिराज कुमारी, तुम्ह समान नहिं कोउ उपकारी !!

रामचन्द्र जी को प्रनाम करके शंकर जी हरषित होकर अमृत के सामान मधुर वाणी में बोले ! हे पर्वतराज की कन्या ! धन्य हो, धन्य हो तुम्हारे समान कोई परोपकारी नहीं है !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 बन्दउँ बाल रूप सोइ रामू, सब बिधि सुलभ जपत जिसु नामू !

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी !!

शिव जी पार्वती से बोले मैं उन बालक रूप रामचन्द्र जी को प्रणाम करता हूँ, जिनका नाम जपने से सब सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं ! मंगल के स्थान, अमंगल को हरने वाले और महाराज दशरथ के आँगन में विहार करने वाले प्रभु राम मुझ पर प्रसन्न हों !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 चौ :- झूठेउ सत्य जाहि बिन जाने, जिमि भुजंग बिनु रजु पहिचाने !

जेहि जाने जग जाइ हेराइ, जागे जथा सपन भ्रम जाई !!

जैसे बिना जाने झूठ भी सच लगता है, जैसे बिना पहचाने रस्सी भी सांप लगती है ! जिनको जान लेने से संसार इस तरह लगने लगता है जैसे कोई सपना और सब भ्रम दूर हो जाते हैं !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड

 दो :- मगन ध्यान रस दंड जुग, पुनि मन बाहेर कीन्ह !

रघुपति-चरित महेस तब, हरषित बरनइ लीन्ह !!

दो घड़ी तक शिव जी राम जी के चरित्र में आनन्द मग्न रहे फिर मन को ध्यान से बाहर किया तब प्रसन्न हो कर शिव जी रघुनाथ जी के चरित्र का वर्णन करने लगे !


बुधवार, 28 जून 2023

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 चौ :- पुनि प्रभु कहहु सो तत्व बखानी, जेहि बिज्ञान मगन मुनिज्ञानी !

भगति ज्ञान बिज्ञान बिरागा, पुनि सब बरनहु सहित बिभागा !!

हे प्रभु ! फिर उस सत्य का बखान करिये जिस विशेषज्ञान से ज्ञानी मुनि मग्न रहते हैं 

फिर भगति, ज्ञान विज्ञानं और वैराग्य का अलग अलग वर्णन कीजिये !

श्री राम चरित्र मानस - बाल काण्ड


 दो :- बहुरि कहहु करुनायतन, कीन्ह जो अचरज राम !

प्रजा सहित रघुबंस-मनि, किमी गवने निज धाम !!

हे दयानिधि ! फिर रघुकुल भूषण ने जो आश्चर्य किया वह कहिये और

 फिर प्रज्ञाओं सहित अपने धाम को कैसे गए ?